राजनीति के लिए आप सक्षम हैं या नहीं, इसके लिए कोई स्टैंडर्ड मानक तो पारिभाषित नहीं है, लेकिन इन सवालों से आप खुद को आंकिये जरूर-
अ. क्या राम बनकर रावण को मारने का साहस है?
साहस की परिभाषा किसी अन्य से मत पूछिए, खुद से सिर्फ एक सवाल कीजिए- क्या मैं सार्वजनिक रूप से सही को सही और गलत को गलत कह सकता हूं। भारत के संविधान, कानून, नीति-नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ रणभेरी बजा सकता हूं, भले ही सामने कोई भी हो। अगर जवाब हां है, तो आप राजनीति में सफल होंगे। अगर नहीं, तो आप किसी अन्य उचित प्रत्याशी को नामित कर जिम्मेदारी निभाएं।
ब. देश की खोई पहचान लौटा लाने का सपना देखते हैं क्या?
हमारे गौरवशाली अतीत का इतिहास गवाह है। हम सब इस बात के भी गवाह हैं कि विकास की क्षेत्रीय प्राथमिकताओं और सरकार की प्राथमिकताओं में दशकों से अंतर चला आ रहा है, अगर आपमें इस दूरी को खत्म करने की समझ और पुराना वैभव फिर हासिल करने की कसक है तो आगे बढि़ए।
स. अगर आपमें समाज-कर्तव्य का बोध है
स्वतंत्र भारत में अधिकार सबको हासिल हैं लेकिन कर्तव्य की बात कहीं पीछे छूट गई है। आप जिस तरह अपने परिवार के प्रति कर्तव्य का बोध रखते हैं, जैसी फिक्र करते हैं, वैसा ही भाव समाज के प्रति आता है, तो आप राजनीति की दिशा में आगे बढ़ें।
द.स्थितियां आपको बेचैन करती हैं
किसी पर अन्याय हो, हक मारा जा रहा हो, विकास में मनमानी, प्राथमिकताओं की उपेक्षा, आंखों के सामने भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, तंत्र में स्वार्थ का बोलबाला, ये सब आप देख नहीं पाते, बेचैन हो जाते हैं, हालात बदलना चाहते हैं, तो आगे आइए, राजनीति को आपकी जरूरत है।
ध. यदि आचरण की शुद्धता को ही साधन शुद्धि मानते हैं तो...
यदि आपको यह एहसास कचोटता है कि जिन जनप्रतिनिधियों के हाथों में हम अपना वर्तमान, भविष्य सब कुछ सौंपते हैं, उन किरदारों में आचरण की शुद्धता लुप्त होती जा रही है। यदि नेताओं का आचरण शुद्ध नहीं होगा तो राजनीति कैसे स्वच्छ होगी? साधन शुद्धि के लिए आपको आगे आना होगा।